इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बीएड़ द्वितीय सेमेस्टर की फीस जमा होने के बावजूद याची का परिणाम रोकने के विश्वविद्यालय के आदेश को रद्द कर दिया है और दो माह में निर्णय लेने का निर्देश दिया है।
न्यायालय ने कहा है कि याची ने समय से फीस जमा कर दी थी। कालेज ने फीस जमा होने की सूचना विश्वविद्यालय को नहीं दी। कालेज ने गलती भी मानी और बिना कालेज से स्पष्टीकरण लिए परिणाम घोषित नहीं किया गया। न्यायमूर्ति वी के बिड़ला ने दुर्गा मिश्रा की याचिका पर यह आदेश दिया ।
याचिका पर अधिवक्ता का कहना था कि बी एड प्रथम सेमेस्टर पास करने के बाद याची ने द्वितीय सेमेस्टर की फीस 30 हजार रुपये कालेज में जमा किया। कोविड 19 संक्रमण के कारण परीक्षा नहीं हो सकी । छात्रों को प्रोन्नति दे दी गई। लेकिन याची का परिणाम घोषित नहीं किया गया। कालेज ने फीस जमा होने की सूचना विश्वविद्यालय को नहीं दी। इसमें याची की कोई भूमिका नहीं है। कालेज ने गलती मानी है। इसके बावजूद उसका परिणाम घोषित नहीं किया गया। जिस पर न्यायालय ने उक्त आदेश दिया।
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