कहानी उस युद्ध की जिसमें हजारों भारतीय जवान शहीद हो गएThe story of the war in which thousands of Indian soldiers were martyred
भारतीय जवान शहीद :- पहले विश्वयुद्ध के दौरान ब्रिटिश सेना की ओर से दुनिया भर में लड़ने वाले जवानों को एक बड़े धोखे में रखा जाता था। जवानों की वही भावनाएं उनके घरों तक पहुंचती थीं, जिन्हें अंग्रेज अफसर चाहते थे। पहले विश्वयुद्ध के दौरान भारत में तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने 14 लाख 40 हजार 37 जवानों को तैयार किया और उन्हें विभिन्न देशों में मोर्चा संभालने भेजा। इनमें अधिकतर भारतीय मूल के जवान थे। इनमें से 74 हजार 187 जवान शहीद हो गए और 67 हजार 771 जवान घायल हुए।
पांच साल से अधिक समय तक ये जवान अपने घरों से दूर रहे। उस समय खत ही इन जवानों के लिए अपने घरवालों से जुड़े रहने का जरिया था। लेकिन इसके लिए भी भारतीय जवानों को ब्रिटिश आर्मी अफसरों की दगाबाजी सहनी पड़ती थी। जवानों के खतों को एक जांच प्रक्रिया से गुजरना पड़ता था। लेकिन उसकी जानकारी जवानों को नहीं होती थी।
जांच के बाद पत्रों की तीन कैटेगरी बनाई जाती थी। पहली कैटेगरी में वे खत होते थे, जिन्हें जवानों के घरों तक पहुंचा दिया जाता था। दूसरी कैटेगरी में खतों में से उन पक्तियों व लफ्जों पर काली स्याही पोत दी जाती थी, जो अंग्रेजों की नजर में अनुचित होते थे। तीसरी कैटेगरी में वे खत को रखे जाते थे, जिन्हे अंग्रेज बिल्कुल पंसद नहीं करते थे। ऐसे पत्रों को बिना बताए नष्ट कर दिया जाता था।
ऐसे खतों पर वर्ष 2004 से रिसर्च कर रहीं डा. प्रभजोत परमार ने ‘अमर उजाला’ को बताया कि आज भी ब्रिटिश लाइब्रेरी लंदन में ऐसे काफी संख्या में पत्र पड़े हैं। ये उर्दू, गुरुमुखी, बंगाली व मराठी में हैं। तीनों चरणों के खतों का अंग्रेजों ने बाकायदा अंग्रेजी अनुवाद करवाकर वहां सहेज कर रखा हुआ है। ये खत बहुत ही भावुक होते थे।
कुछ खत जो कभी घर नहीं पहुंच
- एक जवान ने मोर्चे से लिखा, कि हमें यहां बहुत मारा-पीटा जाता है, हालात बहुत खराब हैं। घर से किसी को भी फौज में भर्ती मत होने देना।
- एक अन्य जवान ने लिखा- हमारे साथ यहां भेड़-बकरियों से भी ज्यादा बुरा सुलूक किया जा रहा है। उसको हम बता नहीं सकते।
- हम घायल हो रहे हैं। तीन महीने से अस्पताल में हैं। बाहर आने तक की इजाजत नहीं है। पता नहीं कब लौटेंगे।
- मुझे गोली लगी है, सोचा था शायद वापस आ जाऊंगा, लेकिन इलाज के बाद मुझे दोबारा मोर्चे पर भेजा जाएगा, मन बहुत उदास है
- युद्ध में हमारे कई साथी मारे जा चुके हैं, बहुत से घायल हैं। मालूम नहीं जिंदा लौटूंगा या नहीं।
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