How to know if the air around you is good, how is the air quality of your city measured? कैसे पता चलता है कि आपके आसपास की हवा अच्छी है, किस तरह मापी जाती है आपके शहर की एयर क्वालिटी?

सर्दी का मौसम शुरू होने वाला है और एक बार दिल्ली और आसपास के शहरों में वायु प्रदूषण की चर्चा शुरू होने वाली है. एक बार फिर से खबरों में हवा की गुणवत्ता का जिक्र होने वाला है, लेकिन वैसे अभी सरकारें इस पर नियंत्रण करने के लिए कई कदम भी उठा रही हैं. देश के कई शहर ऐसे हैं, जहां वायु प्रदूषण अहम मुद्दा है और वहां रहने वाले लोगों के चिंता का विषय है. देश के कई शहर ऐसे हैं, जहां प्रदूषण का स्तर काफी ज्यादा है.


ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ये पता कैसे चलता है कि जहां आप रह रहे हैं या रहने जा रहे हैं, वहां की हवा अच्छी है या नहीं. इसलिए, आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि किस तरह से वायु प्रदूषण को मापा जाता है और आपके शहर की एयर क्वालिटी कितनी सही है?


 कैसे पता चलता है?


हवा की क्वालिटी मापने के लिए एयर क्वालिटी इंडेक्स का इस्तेमाल किया जाता है. यह एक ईकाई है, जिसके आधार पर पत चला जाता है कि उस स्थान की हवा कितनी साफ है और सांस लेने योग्य है या नहीं. इसमें अलग अलग कैटेगरी होती है, जिससे समझ आ जाता है कि उस स्थान की हवा में कितना प्रदूषण है. दरअसल, एयर क्वालिटी इंडेक्ट में 8 प्रदूषक तत्व को देखा जाता है कि उनकी मात्रा कितनी है. अगर उनकी तय लिमिट से ज्यादा मात्रा होती है, तो समझ जाता है कि वहां की हवा प्रदूषित है.


इन तत्वों में सल्फर डाइऑक्साइड (SO2), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2), और कार्बन मोनोऑक्साइड (CO)की मात्रा विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय किए गए मापदंड से अलग नहीं होना चाहिए. इसके अलावा इनमें PM10, PM2.5, NO2, SO2, CO, O3, NH3 और Pb आदि तत्व शामिल है. यह बताता है कि हवा में किन गैसों की कितनी मात्रा घुली हुई है.


कितनी होती है कैटेगरी?


हवा की गुणवत्ता के आधार पर इस इंडेक्स में 6 कैटेगरी होती है. इसमें अच्छी, संतोषजनक, थोड़ा प्रदूषित, खराब, बहुत खराब और गंभीर जैसी कैटेगरी शामिल हैं. अगर अच्छी रैंकिंग की बात करें तो इसमें 50 से कम होना चाहिए. इसके बाद ये स्तर बढ़ता जाता है और 500 से ऊपर हो जाता है तो यह एक इमेरजेंसी की स्थिति है और इससे सांस संबंधी दिक्कत होने का खतरा बढ़ जाता है और लोगों को सलाह दी जाती है कि ज्यादा से ज्यादा घर के अंदर रहें.


कैसे मापा जाता है?



इसके लिए अलग-अलग डिवाइस होती है, जिनके जरिए एक्यूआई का पता लगाया जा सकता है. सरकार भी कई जगहों पर यह मीटर लगाकर रखी है और इससे पता लिया जाता है कि उस हवा की क्या स्थिति है. इसमें हर तत्व का सही पता उसके घंटों के आधार पर लगता है. जैसे कार्बन डाइ ऑक्साइड की मात्रा के लिए 6 घंटे रखना होता है, ऐसे ही दूसरे तत्वों के लिए अलग व्यवस्था है. ऐसे में इसे पूरे 24 घंटे एक स्थान पर रखकर उसका पता लगाया जाता है.

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